PAPER ID: IJIM/Vol. 9 (IV) August 2024/15-22/4
AUTHOR: नेहा (Neha)
TITLE: आज कबीर की प्रासंगिकता क्यों है : एक अध्ययन
ABSTRACT: कबीर भक्ति काल के एक प्रमुख संत और कवि] भारतीय समाज में एक अद्वितीय स्थान रखते हैं। उनकी रचनाएँ न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं] बल्कि उन्होंने समाजिक और सांस्कृतिक सुधारों पर भी गहरा प्रभाव डाला है। इस अध्ययन का उद्देश्य कबीर की प्रशंसा का विश्लेषण करना है] जिसमें उनकी रचनाओं के विभिन्न पहलुओं] जैसे कि सामाजिक समानता] धार्मिक सहिष्णुता] और सांस्कृतिक समन्वय पर ध्यान केंद्रित किया गया है। कबीर की रचनाएँ एक ऐसी दुनिया की कल्पना करती हैं जहाँ व्यक्ति जाति, धर्म]और सामाजिक सीमाओं से परे जाकर मानवता के व्यापक मूल्य की ओर अग्रसर हो सके। यह अध्ययन कबीर के काव्य की उन विशेषताओं पर प्रकाश डालता है जो आज के समाज में भी प्रासंगिक हैं] जैसे कि उनकी सरल भाषा] आत्मा की शुद्धता पर जोर] और भेदभाव के विरोध में उनका सशक्त संदेश। साथ ही इस शोध में यह भी विचार किया गया है कि कैसे कबीर की विचारधारा ने उस समय के धार्मिक और सामाजिक ढाँचे को चुनौती दी और व्यापक सामाजिक सुधारों का मार्ग प्रशस्त किया।
अंत में, यह अध्ययन कबीर के काव्य की वर्तमान समय में प्रासंगिकता पर भी चर्चा करता है, जिसमें उनकी शिक्षाओं के आधुनिक समाज पर संभावित प्रभावों का विश्लेषण किया गया है।
KEYWORDS: मूल्य, समानता, सहिष्णुता, समन्वय, मानवता, भाषा, शुद्धता, भेदभाव, विचारधारा, सुधार, प्रासंगिकता, प्रभाव, शिक्षाएँ, समाज, विश्लेषण ।