PAPER ID: IJIM/Vol. 9 (XI) /March/33-36/5
AUTHOR: दीक्षा [I] नेहा[II] (Diksha & Neha)
TITLE : विश्व का तोरण द्वार है हिन्दी
ABSTRACT:तोरण द्वार केवल एक भौतिक प्रवेश द्वार ही नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतीक भी है, जो स्वागत, परंपरा और समृद्धि को दर्शाता है। हिन्दी को “विश्व का तोरण द्वार” कहना इसलिए उचित है क्योंकि यह न केवल भारत की भाषा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और साहित्यिक आदान-प्रदान का माध्यम भी बन चुकी है। हिन्दी भाषा भारत की सांस्कृतिक धरोहर, सभ्यता और मूल्यों को विश्वभर में पहुंचाने का कार्य कर रही है। मॉरीशस, फिजी, गयाना, अमेरिका, कनाडा जैसे कई देशों में हिन्दी भाषा, साहित्य और संस्कृति को अपनाया जा रहा है। हिन्दी धार्मिक, आध्यात्मिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, जिससे यह वैश्विक स्तर पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रही है। आधुनिक युग में इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से भी हिन्दी का प्रभाव बढ़ा है, जिससे यह भाषा वैश्विक संचार की एक महत्वपूर्ण कड़ी बन गई है। अतः हिन्दी को “विश्व का तोरण द्वार” कहना सार्थक है।
KEYWORDS: हिन्दी, तोरण द्वार, वैश्विक भाषा, भारतीय संस्कृति, साहित्य, धार्मिक ग्रंथ, आध्यात्मिकता, वैश्विक पहचान, भाषा संरक्षण, आधुनिकता, संचार माध्यम, प्रवासी भारतीय, राजभाषा, शिक्षा, सोशल मीडिया।
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