PAPER ID:IJIM/V.7(VII)/22-28/5
AUTHOR: डॉ. सुनीता गुप्ता
TITLE : भारतीय संगीत का आधार-लोकगीत एवं लोकधुनें
ABSTRACT: भारतीय लोकगीत और लोकधुनें संस्कृति, परंपराओं और समाज की भावनाओं का जीवंत प्रतिबिंब हैं। ये गीत मौखिक परंपरा के माध्यम से पीढ़ी दर पीढ़ी संरक्षित रहते हैं और विभिन्न अवसरों—जन्म, विवाह, त्योहार, भक्ति, वीरता और प्राकृतिक सौंदर्य—का चित्रण करते हैं। लोकसंगीत की सादगी, स्वाभाविकता और लोकवाद्यों का प्रयोग इसे अद्वितीय बनाता है। यह न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक धरोहर, शिक्षात्मक मूल्य और पर्यावरण संरक्षण की भावना को भी प्रोत्साहित करता है। आधुनिक समय में लोकगीतों को संरक्षित और लोकप्रिय बनाने के प्रयास जारी हैं, जिससे यह वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बना रहे हैं।
KEYWORDS: लोकगीत, लोकधुन, भारतीय संगीत, संस्कृति, परंपरा, समाज, लोकसंगीत, ग्रामीण जीवन, मौखिक परंपरा, लोकवाद्य, सांस्कृतिक धरोहर, भक्ति संगीत, वीरता गाथा, मनोरंजन, शिक्षात्मक मूल्य