हिंदी बाल साहित्य के संवाहक के रूप में पत्रिकाएं : ऐतिहासिक और साहित्यिक परिप्रेक्ष्य

PAPER ID: IJIM/Vol. 9 (XI) /March/44-49/7

TITLE : हिंदी बाल साहित्य के संवाहक के रूप में पत्रिकाएं : ऐतिहासिक और साहित्यिक परिप्रेक्ष्य

AUTHOR: विकास कुमार

ABSTRACT: बाल साहित्य वह साहित्य है जो विशेष रूप से बच्चों के मानसिक, भावनात्मक और बौद्धिक स्तर को ध्यान में रखते हुए रचा जाता है। इसमें कहानियाँ, कविताएँ, चित्रकथाएँ, लोककथाएँ, शाब्दिक खेल आदि शामिल होते हैं। यह साहित्य न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि बालकों के नैतिक, सांस्कृतिक और भाषिक विकास का भी एक सशक्त माध्यम है। बाल साहित्य समाज के उस वर्ग को संबोधित करता है, जो सबसे अधिक जिज्ञासु, संवेदनशील और निर्माणशील होता है—अर्थात् बालक। हिंदी बाल साहित्य का विकास स्वतंत्र रूप से उस समय प्रारंभ हुआ जब समाज में बालकों की शिक्षा और मानसिक विकास को लेकर सजगता आई। इस विकास में पत्रिकाओं की भूमिका केंद्रीय रही है। यह शोधपत्र हिंदी बाल साहित्य के विकास में पत्रिकाओं की भूमिका का ऐतिहासिक और साहित्यिक विश्लेषण प्रस्तुत करता है।

KEYWORDS: बाल साहित्य, बाल पत्रिका, हिन्दी साहित्य, पत्र-पत्रिकाएँ 

Download the Fulltext

 Download the Certificate of Author

Quick Navigation