Paper 6 कॉलिंग ग्रामीण: पंजाब एवं हरियाणा के संदर्भ में महिलाओं और पुरुषों पर मोबाइल फोन के सामाजिक व मनोवैज्ञानिक प्रभावों का अध्ययन

PAPER ID: IJIM/Vol. 8 (VIII) December 2023/30-37/6

AUTHOR: डॉ. रीना रानी (Dr. Reena Rani)

TITLE: कॉलिंग ग्रामीण: पंजाब एवं हरियाणा के संदर्भ में महिलाओं और पुरुषों पर मोबाइल फोन के सामाजिक व मनोवैज्ञानिक प्रभावों का अध्ययन ( Calling gramin : Panjab aivm Haryana ke sandhrb main mahilayon aur Purshon pr mobile phone ke samajik v manovaigyanik prabhvon ka adhyan)

ABSTRACT: एक ग्रामीण भारत जहां 69 प्रतिशत भारतीय परिवार निवास करते हैं अब सुविधाओं से भरपुर है। सूचना व संचार जो एक सामाजिक प्राणी के लिए अति आवश्यक है का आदान.प्रदान अब मोबाइल फोन से होने लगा है जबकि पहले लोग सूचना प्राप्ति के लिए अपने पड़ोेेसी पर और वे पड़ोेेसी अपने पड़ोसियों पर निर्भर रहते थे। ग्रामीण भारत में मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं में प्रतिवर्ष वृद्धि देखने को मिलती है। भारतीय समाज के पुरुष प्रधान होने के कारण मोबाइल फोन पर पहला हक पुरुष को ही मिला जब ग्रामीण क्षेत्र में कुछेक महिलाओं द्वारा मोबाइल फोन उपयोग में लाया जाने लगा तब ग्रामीण पंचायतों ने इस पर आपत्ति जताते हुए अपने बेतुके फरमान जारी किये व गांव में लड़कियों के मोबाइल फोन के उपयोग पर पाबंदी लगाई गई जैसी अनेकों चुनौतियों कम साक्षरता, उच्च गरीबी व बिजली समस्या इत्यादि को पार करते हुए मोबाइल फोन आम.जन तक पहुंच गया। कम लागत व अत्यधिक पहुंुच के कारण मोबाइल फोन ने लोगों को अपना आदी बना लिया जिसका लोगों पर कई तरह का प्रभाव पड़ रहा है। इस संदर्भ में यह शोध पत्र पंजाब व हरियाणा के ग्रामीण परिवारों में महिलाओं एवं पुरुषों दोनों पर मोबाइल फोन के सामाजिक व मनोवैज्ञानिक प्रभाव की जांच करता है। प्रस्तुत अध्ययन में प्ंाजाब एवं हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्र से 80 परिवारों के कुल 230 लोगों पर सर्वेक्षण किया और पाया कि ग्रामीण भारतीयों की पारिवारिक गतिशीलता को मोबाइल फोन प्रभावित कर रहा है। मोबाइल फोन ग्रामीण भारत को सामाजिक व मनोवैज्ञानिक रुप से सशक्त के साथ.साथ कमजोर कर रहा है। मोबाइल फोन के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक किसी भी प्रभाव में लैंगिक विभिन्नता नहीं पाई गई है। मोबाइल फोन का प्रभाव महिलाओं और पुरुषों पर समान रुप से पड़ रहा है। मोबाइल फोन से लैंगिक असमानताओं को दूर करने की संभावना है। अब गांव में लोग मोबाइल फोन के आदी होते हुए बिना काम के व्यस्त हो रहे हैं और कई मनोवैज्ञानिक बीमारियां और सामाजिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। 

KEYWORDS: मोबाइल फोन, इंटरनेट, सोशल मीडिया, ग्रामीण परिवार, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक प्रभाव

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