PAPER ID:IJIM/V.7(III)/17-22/4
AUTHOR: Dr. Manju
TITLE -ब्रिटिश काल से पूर्व हरियाणा में कृषि की स्थिति का पुनरावलोकन
(British Kaal Se Poorv Haryana main Krishi ki Sthiti ka Punravlokan)
ABSTRACT: आजकल की तरह ही पिछले समय में भी हरियाणा कृषि प्रधान प्रदेश था। यहाँ की लगभग 90 प्रतिशत से भी कुछ ऊपर जनसंख्या जीवनयापन के लिए परोक्ष या अपरोक्ष रूप से कृषि पर निर्भर रहती थी। ये लोग गाँव में रहते थे। शेष जनसंख्या कस्बों या नगरों में रहते हुए लघु उद्योग, व्यापार तथा अन्य धंधों से गुजारा करती थी। यहाँ की भूमि कुल मिलाकर उपजाऊ थी। परन्तु वर्षा की कमी व सदानीरा नदियों के अभाव से यहाँ कृषि अधिक उन्नत स्थिति में नहीं हो सकती थी। इसके बावजूद भी आजकल की तरह ही मध्यकाल में भी इस क्षेत्र का किसान लगभग सारे समय अपने खेत में ही लगा रहता था। उसके द्वारा साल में दो तरह की फसलें उगाई जाती थी। बसन्त ऋतु में ‘खरीफ’ फसलें व शरद् ऋतु में रबी फसलें। ‘खरीफ’ में धान्य फसलें ज्वार, बाजरा, मूंग, मोठ, लोबिया, मकई, कनगी, मुंडोआ आदि थी। जबकि ‘खरीफ’ की जब्ती फसलों में मुख्यतः गन्ना, शकरकंदी, अरबी, आलू आदि सम्मिलित थी। इसी तरह ‘रबी’ के धान्य समूह में गेहूँ, जौ, चना, बाजरा, गोचनी (गेहूँ व चना मिले हुए), गोगरा, सरसों, तोरिया, मसूर, अरहर और ‘रबी’ की जब्ती फसलों में कासनी, मेथी, तम्बाकू, अजवाइन और सब्जियां जैसे कद्दू, टिंडा, पेठा आदि सम्मिलित थी।
KEYWORDS: हरियाणा कृषि प्रधान प्रदेश, जब्ती फसल